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CRPF के जवान राकेश्वर की रिहाई के पीछे बड़ी वजह, नक्सलियों को था इस बात का डर

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Chhattisgarh Bijapur Naxal Attack: राकेश्वर सिंह मन्हास (Rakeshwar Singh Manhas) को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है. वह पूरी तरह सुरक्षित हैं. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि ये क्रूर नक्सली सीआरपीएफ के जवान को रिहा करने के लिए तैयार कैसे हो गए. 

DNA ANALYSIS: CRPF के जवान राकेश्वर की रिहाई के पीछे बड़ी वजह, नक्सलियों को था इस बात का डर

नई दिल्ली: CRPF के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास (Rakeshwar Singh Manhas) को नक्सलवादियों ने 5 दिन बाद कल 8 अप्रैल को रिहा कर दिया. लेकिन ये नक्सलवादी जिस तरह से उन्हें रस्सियों से बांध कर लेकर आए. उन्हें अपमानित किया गया और गांव में उनकी परेड कराई गई, उससे यही लगता है कि राकेश्वर सिंह मन्हास को भारत में नहीं, बल्कि किसी दुश्मन देश में बंधक बनाया गया हो.

rakeshwar singh manhas

नक्सलियों का इवेंट मैनेजमेंट

 

ये नक्सलवादी उन्हें रस्सी से बांध कर बीजापुर के आदिवासी इलाकों में लेकर आए, जो नक्सल प्रभावित इलाका है. हालांकि इससे पहले इन नक्सलवादियों ने ये जानकारी वहां के कुछ गांवों, आदिवासी नेताओं और मीडियाकर्मियों को दी. जब वहां भीड़ इकट्ठा हो गई तो ये हथियारबंद नक्सलवादी राकेश्वर सिंह मन्हास को वहां लेकर आए. मीडिया के सामने ही उनके हाथों में बांधी गई रस्सियां खोली गईं और फिर उन्हें रिहा किया गया.

rakeshwar singh manhas

जवान के साथ ऐसा व्यवहार पूरे देश को चुनौती 

 

Zee News पहला ऐसा चैनल था, जिसने राकेश्वर सिंह को छुड़ाने के लिए मुहिम शुरू की और ये शुभ समाचार है कि राकेश्वर सिंह मन्हास पूरी तरह सुरक्षित हैं. हालांकि हमें लगता है कि नक्सलवादियों ने बंधक बनाए गए जवान के साथ ऐसा व्यवहार करके पूरे देश को चुनौती दी है और इसलिए हम इन तस्वीरों पर कड़ी निंदा की जगह कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं.

राकेश्वर को रिहा करने के लिए कैसे तैयार हो गए नक्सली

अब आप जानिए कि ये क्रूर नक्सलवादी इतनी आसानी से राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा करने के लिए कैसे तैयार हो गए. इसके पीछे दो मुख्य वजहें हैं.

सबसे बड़ी वजह है, सरकार का डर. 22 जवानों की शहादत के बाद देश के लोगों में गुस्सा था और इन नक्सलवादियों को पता चल गया था कि केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल के 22 जवानों की जान लेने के बाद मोदी सरकार उन्हें छोड़ने वाली नहीं है. सरकार हर मौत का हिसाब लेगी. इसलिए नक्सलवादियों ने एक योजना तैयार की और हर दिन सरकार तक मैसेज पहुंचाते रहे कि राकेश्वर मन्हास सुरक्षित हैं.

पहले चिट्ठी जारी की गई, उसके बाद राकेश्वर सिंह मन्हास की तस्वीर जारी हुई. जिसमें बताया गया कि नक्सली राकेश्वर का इलाज करा रहे हैं. फिर मध्यस्थता की पेशकश की गई और फिर स्थानीय पत्रकारों के जरिए संपर्क किया गया. आखिर में लोगों के बीच एक इवेंट करके राकेश्वर सिंह मन्हास को छोड़ा गया. यानी नक्सलवादी सरकार तक ये मैसेज देने की कोशिश करते रहे कि वो बातचीत करना चाहते हैं.

 

इस बात का डर

राकेश्वर सिंह मन्हास को छोड़ने के पीछे की दूसरी वजह थी कि नक्सलवादियों को डर था कि अगर बंधक बनाए गए जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को ज्यादा दिन तक उन्होंने अपने पास रखा तो सरकार उन पर बड़ी स्ट्राइक कर देगी और इससे वो स्थानीय लोगों के साथ साथ अपने कैडर का भरोसा भी खो देंगे.

परिवार ने कहा, पीएम मोदी को शुक्रिया

 

राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई के बाद आज उनके परिवार ने भी राहत की सांस ली है. उनकी चार साल की बेटी और उनकी पत्नी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके धन्यवाद दिया.

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